“Virat Kohli पानी भरते हैं Joe Root के सामने”




हाथ से लिखे पन्ने हम कम ही पढ़ते हैं। जब डॉक्टर हमें काग़ज़ पर दवाइये लिख के देते हैं तो हमें एक भी शब्द क़तई पल्ले नहीं पड़ता है। पर इस काग़ज़ के पन्ने ने हमें पढ़ने को मजबूर कर दिया। आप देखिए इस काग़ज़ के पन्ने को गौर से। ऊपर लिखा है टेस्ट्स। नीचे एक तरफ़ विराट कोहली का नाम है, दूसरी तरफ़ जो रूट का। दिखा ये जा रहे है कि चाहे सैकड़े हों, या हाफ सेंचरीज़, या छक्के, हर मामले में विराट कोहली जो रूट से पीछे हैं। लेकिन इस काग़ज़ की शुरुआत में विराट की १९१ पारी दिखाई जा रही है और रूट की 263। यानी पूरी 72 पारियों का फ़र्क़। पर इस फ़र्क़ को नज़रअंदाज़ करके दिखाने की कोशिश ये है कि विराट कोहली जो रूट के बराबर के बल्लेबाज़ नहीं हैं। और ये दिखाने की कोशिश कौन कर रहा है। ये कोशिश है इंग्लैंड के पुराने कप्तान माइकल वान  की। साथ ही साथ चुटकी लेते हुए उन्होंने नीचे लिखा है मॉर्निंग इंडिया। तो क्या वाक़ई जो रूट विराट कोहली से अच्छे बल्लेबाज़ हैं? टेस्ट्स में रूट ने कोहली से ज़्यादा मैच खेले हैं, तो उनके ज़्यादा रन तो बनेंगे ही। और जहां तक वाइट बॉल क्रिकेट का सवाल है, रूट कोहली के आस पास तक नहीं फटकते। कोहली के ODI क्रिकेट में 50 शतक हैं। कितने? पचास शतक। और रूट के इसके मुक़ाबले सिर्फ़ 16 हैं। रूट को T20 क्रिकेट में कभी कभार ही खेलने के मौक़ा मिलता है। माना ये जाता है कि जितनी तेज़ी से रन बनाये जाने चाहिए, रूट T20 क्रिकेट में उतनी तेज़ी से रन नहीं बनाते हैं। इस तरह रूट को सिर्फ़ 32 मैचों में खिलाया गया है। इसके मुक़ाबले विराट ने 126 मैच खेले हैं। अगर ऑल-राउंड बैटिंग की बात करें तो जो रूट विराट के बराबर नहीं ठहरते हैं। हाँ ये ज़रूर है कि पिछले चार सालों में रूट ने 16 शतक टेस्ट मैचों में लगाये हैं। कोहली का पिछले कुछ सालों का प्रदर्शन टेस्ट मैचों में अच्छा नहीं रहा है। 2021 से कोहली ने पिछले तीन सालों में सिर्फ़ दो सैकड़े लगाई हैं। रूट ने इसके मुक़ाबले 2021 से अब तक 16 सैकड़े लगाये हैं। रूट कोहली से क़रीब तीन साल छोटे हैं, इस लिये उनका प्रदर्शन फ़िलहाल के सालों में कोहली से अच्छा रहा है। पर ये कहना कि वो कोहली से बेहतर बल्लेबाज़ हैं थोड़ा ज़्यादा हो गया। कोहली में टेस्ट मैचों को लेकर अभी भी भूख है। फिटनेस में उनका मुक़ाबला नहीं है। T20 क्रिकेट भी उन्होंने अब छोड़ दी है। इसका मतलब पूरा ध्यान अब टेस्ट मैचों पर होगा क्योंकि ODI क्रिकेट वैसे भी आजकल कम खेली जाती है। जो रूट को अपने देश में लोगों और पब्लिक का इतना प्रेशर नहीं झेलना पड़ता, जितना विराट को इंडिया में झेलना पड़ता है। इसी पब्लिक स्क्रूटिनी के रहते, विराट ने आजकल लंदन में रहना शुरू किया है। सोचिए, जब भी विराट खेलने जाते हैं, करोड़ों लोगों की निगाहें उनके ऊपर ही रहती है। रूट को इसके मुक़ाबले ऐसा कोई भी प्रेशर नहीं झेलना पड़ता। फिर भी क्रिकेटराशि, माइकल वान की तरह आज के ग्रेट्स में बराबरी नहीं करना चाहती है। विराट और रूट दोनों को ही देखने में आनंद आता है। यही काफ़ी है।